‘मैं भी विट्ठल, तू भी विट्ठल... सृष्टि के हर कण में विट्ठल... हर क्षण विट्ठल... जीवन ही विट्ठल।’ संत तुकारामजी का जीवन यानी विट्ठल भक्ति का अनोखा दर्शन। विश्व में तीन प्रकार के लोग हैं। पहले वे जो समस्याओं में, दुःखद घटनाओं में कंपित हो जाते हैं। दूसरे वे जो हर घटना की तरफ आशावादी दृष्टिकोण से देखने की आदत अपनाते हैं मगर तीसरे प्रकार में आनेवाले लोग समस्याओं में न सिर्फ सकारात्मक सोच रखते हैं बल्कि अपने मन को अकंप, अभंग बना पाते हैं। उनका जीवन युगों-युगों तक उच्चतम मार्गदर्शन (मोक्ष) दे पाता है।
‘संसार में रहते हुए भी इंसान मोक्ष की दौलत पा सकता है’, यह संत तुकाराम महाराज का जीवन दर्शाता है। सांसारिक समस्याओं को निमित्त बनाकर इंसान आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। इतना ही नहीं बल्कि सभी सांसारिक समस्याओं को ‘ईश्वरीय प्रसाद’ समझकर वह प्रेम, आनंद और शांति का कीर्तन कर सकता है। प्रस्तुत ग्रंथ में यही बात विस्तार से जानें। इसके अलावा इस ग्रंथ में पढ़ें-