- नाम की माला जपकर देव हो जाने की यात्रा है नामदेव का जीवन। अपना असली नाम जपकर हर कोई यह चमत्कार कर सकता है, बशर्ते कि उसे नाम की सही पहचान हो।
- संत नामदेव ने अपने अभंगों द्वारा बखूबी यह पहचान कराई। ईश्वर को मंदिर की मूर्तियों में देखने के बदले अपनी मूरत में उसका दर्शन कराने की करामात उन्होंने की। आज इतने सालों बाद भी उनके अभंग उतने ही उपयुक्त हैं, जितने सात सौ साल पहले थे।
- आज अधिकांश लोग दो धाराओं में बँटे हैं। आस्तिक और नास्तिक। जहाँ आस्तिक रीति रिवाजों व धार्मिक कर्मकाण्डों में उलझे हैं, वहीं नास्तिक हर बात को तर्क में तौलते हैं। संत नामदेव ने कुरीतियों पर प्रहार कर और व्यक्ति को तर्क से मुक्त कर ‘हर सूरत में ईश्वर मूरत’ का ज्ञान फैलाया।
संत नामदेव के जीवन में अनेक चमत्कार हुए। जिन्हें आज की पीढ़ी अविश्वास की नज़र से देखती है। पुस्तक में आप इन चमत्कारों के पीछे का रहस्य जानकर एक ऐसी दृष्टि पाएँगे, जिससे आपको अपने ही जीवन में घटनेवाले चमत्कार भी सहजता से दिखाई देंगे। तो चलिए... तैयार हो जाइए एक नई आँख पाकर उसी पुराने जीवन को नए आयाम से देखने के लिए...।
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।