कानून का जंगलराज
हमारे देश की सारी व्यवस्थाएँ जिस प्रकार असफलताओं का दोषारोपण एक-दूसरे पर करती नजर आती है, क्या इनमें से किसी एक घटक ने भी कभी अपने कर्तव्यों के पालन पर गंभीर चिन्तन-मनन और क्रियान्वयन का विचार किया ?
आम आदमी को अदालतों की चमक-दमक या वकीलों की शान देखने का कोई शौक नहीं है, लोगों को न्याय चाहिए, वह भी तुरन्त और सस्ता ! क्या हमारी व्यवस्थाएँ लोगों को शीघ्र और सस्ता न्याय कभी दे पायेंगी ? इसके लिए ठोस कदम सरकारें उठायेंगी ? आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा ?
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर.एम.लोढा ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील से कहा कि न्याय में देरी का सारा दोष न्यायाधीशों पर लगाना उचित नहीं है । इसके लिए सरकार को उच्च न्यायालय स्तर पर न्यायाधीशों की संख्या बढानी पड़ेगी ।
इस पुस्तक के लेखक 'नारायण sai ' एक सामाजिक एवं आध्यात्मिक स्तर के लेखक है | उसीके साथ वे एक आध्यात्मिक गुरु भी है | उनके द्वारा समाज उपयोगी अनेको किताबें लिखी गयी है | वे लेखन के साथ साथ मानव सेवा में सदैव संलग्न रहते है | समाज का मंगल कैसे हो इसी दृढ़ भावना के साथ वे लेखन करते है |