आचार्य सुदर्शन एक विचारक संत हैं। पिछले पचास वर्षों से वे शिक्षा, नैतिकता और जीवन जीने की विधि का प्रचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि नई पीढ़ी के बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। बालकाल में अगर उन्हें जीवन के विविध नैतिक नियमों का परिचय करा दिया जाय तो वे एक दिन पूर्ण मानव बनकर समाज में खड़े होंगे।
आचार्य जी ने अबतक शिक्षा, नैतिकता और जीवन जीने की विधि (Methoded of life) पर सत्तर से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उन्हीं पुस्तकों के अमूल्य संक्षिप्त अंशों को राष्ट्रीयस्तर के सम्मानित पत्र-पत्रिकाओं एवं अखबारों ने प्रकाशित किया है।, जिससे लाखों पाठकों को लाभ हुआ है। उन्हीं के अनुरोध पर मैं पुनः पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशित संदर्भों को एकत्र कर पुस्तक रूप में प्रकाशित करने का निर्णय किया है। इसके लिए हम उनका आभार प्रगट करते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक "मन की आँखें खोल" में छोटे-छोटे अंशों को प्रकाशित किया जा रहा है जो बड़े ही महत्वपूर्ण और मर्मस्पर्शी हैं, इन संदर्भों से अगर हमारे सुधी पाठकों विशेषकर नई पीढ़ी के बच्चों को कुछ भी लाभ हुआ, तो हम अपना प्रकाशकीय दायित्व निर्वहन करने में सफल होंगे।