Sitayan

· Manjul Publishing
5,0
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Livro eletrónico
342
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Acerca deste livro eletrónico

'तुमको नहीं पता, मैं जिस समय वृक्ष के नीचे अन्धकार मैं अकेली बैठी थी, तब क्या हुआ था। तुम मेरी हताशा को नहीं समझ सकते। तुमको मेरी प्रसन्नता का भी अंदाज़ा नहीं है, की मुझे कैसी अनुभूति हुई जब मैं पहले वन और फिर अयोध्या में थी, और इस सृष्टि में सबकी प्रिय थी।'

रामायण, विश्व के महानतम महाकाव्यों में से एक होने के अलावा एक दुखांत प्रेम कथा भी है। इसके पुनर्कथन में लेखिका ने सीता को उपन्यास के केंद्र में रखा है और यह सीता के परिपेक्ष्य से लिखी गई कथा है। यह महाकाव्य की कुछ अन्य नारी पत्रों की भी कहानी है, जिन्हें प्रायः गलत समझकर उनकी उपेक्षा कर दी गई, जैसे कैकेयी, शूर्पणखा और मंदोदरी। कर्तव्य, विश्वासघात, अधर्म और सम्मान पर एक सशक्त टिप्पणी होने के अतिरिक्त्त, यह पुरुष-प्रधान जगत में स्त्री द्वारा अपने अधिकारों के लिए संघर्ष की भी गाथा है। चित्रा ने एक अति प्राचीन कथा को अभिलाषाओं की दिलचस्प और आधुनिक लड़ाई में बदल दिया है। यद्यपि रामायण आज भी उसी तरह पढ़ी-सुनी जाती है, परंतु चित्रा ने उपन्यास में उठाए कुछ प्रश्नों के संदर्भ में इसे और भी प्रासंगिक बना दिया है: स्त्रियों के क्या अधिकार होते हैं? और स्त्री को अन्याय के विरोश में कब कहना चाहिए, 'अब और नहीं!'


Classificações e críticas

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Acerca do autor

चित्रा बैनर्जी दिवाकरुणी एक पुरस्कृत और बेस्टसेलिंग लेखिका, कवियित्री और लेखन के क्षेत्र से जुड़ी शिक्षक हैं। उनकी किताबों का 29 भाषाओं में अनुवाद हुआ है और उनकी रचनाओं पर फिल्में व् नाटक भी बन चुके हैं। वह ह्युस्टन में अपने पति मूर्ति के साथ रहती हैं। इनके आनंद और अभय नाम के दो पुत्र हैं। चित्रा @cdivakaruni से टवीट करती हैं और उन्हें अपने फ़ेसबुक पेज https://www.facebook.com/chitradivakaruni/ पर पाठकों से जुड़ना पसंद है।.

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