Manasik Swasthya Ke Liye Vichar Niyam

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4.4
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मानसिक संतुष्टि का राज़

बीमारी की वजह मस्तिष्क में जीती हैं इसलिए हमें पहली विजय अपने मस्तिष्क पर हासिल करनी है और नकारात्मक वाद – विवाद में न पड़कर उपचार विचार नियम का सहारा लेना है।

विचार नियम रचनात्मक सिद्धांत है, जो कहता है – हर विचार जो होश, जोश और यकीन के साथ दोहराया जाता है, वह हकीकत में बदलता है। जब हम अनंत बलशाली शक्ति यानी ईश्वरीय विचारों को अपने मन से गुजरने देते हैं तो यह नियम हमारे लिए काम करना शुरू कर देता है। वह सब जो हमारे लिए ईश्वर ने बनाया है, हमारी जिंदगी में आना शुरू हो जाता है। जैसे पूर्ण स्वास्थ्य, सही व्यवसाय, सही मकसद, प्रेम, कला, गुण, सफलता, ज्ञान, विकास सब कुछ पूर्ण होना शुरू होता है। इससे इंसान सच्चे आनंद की स्थिति प्राप्त करता है और उसी इंसान से दूसरों का भला हो सकता है, जो आनंदित है।

तो आइए, इस पुस्तक में दिए गए विचार सूत्र, स्वसंवाद, महाअनुवाद और पक्षवाक्य के ज़रिए आज से ही अपने

मस्तिष्क को शांतिपूर्ण अनुभवों, आशावादी शब्दों तथा सत्यात्मक विचारों से भर दें तो अंत में आपके पास एक सुंदर, विशाल आश्चर्यजनक विचारों का भंडार होगा, जो आपको हर बीमारी से मुक्त कर सकेगा।

Ratings and reviews

4.4
22 reviews
RAJENDRA MULEY
October 22, 2019
Very very nice book, increse your happyness.
42 people found this review helpful
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sunil kumar mev (SUNILDYT)
December 31, 2019
Superb
45 people found this review helpful
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Shital Shirawala
August 19, 2023
Bhul
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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