Sampurna Dhyan (Hindi)

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4,5
10 vélemény
E-könyv
200
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Információk az e-könyvről

आमतौर पर ध्यान को एक जटिल विषय माना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। यह सोच हमारे अज्ञानता की उपज है। प्राय: यह हमारी आदत होती है कि हम देखते हुए भी अंधे हो जाते हैं। यही ध्यान का एक मुख्य व्यवधान है। अनुभव के स्तर पर जाकर ध्यान के प्रयोग और उसके लाभ के बारे में स्वअनुभूति प्राप्त की जा सकती है। यह पुस्तक ध्यान जैसे जटिल विषय को सुगम बनाने की एक कालजयी रचना है।

इस पुस्तक में ध्यान विषय पर केंद्रित तेजगुरु सरश्री द्वारा दिए गए प्रवचनों का संकलन किया गया है। पुस्तक पॉंच भागों में विभक्त है। जिसके प्रत्येक भाग में विद्यार्थियों, खोजियों, शिष्यों, साधकों और भक्तों के लिए अलग-अलग दृष्टांत दिए गए हैं। संपूर्ण पुस्तक में ध्यान से संबंधित जिज्ञासासूचक 222 प्रश्नों का सरल समाधान समाहित है। जो मनुष्य के निर्विचार अवस्था को चित्त की एकाग्रता की ओर ले जाता है। पुस्तक के अध्ययन से ध्यान की परिभाषा इसकी आवश्यकताएँ और इससे होनेवाले लाभ से पाठक परिचित होते हैं। इसके अतिरिक्त पुस्तक में ध्यान की 7 विधियों और ध्यान सर्वेक्षण का विशेष उल्लेख किया गया हैै।

पुस्तक का मूल उद्देश्य पाठकों को ध्यान की संपूर्णता से परिचित कराकर उनका सर्वांगीण विकास कराना है। जिससे उन्हें सुख, शांति, वैभव और आरोग्य प्राप्त हो सके। पुस्तक सरल, सहज और रोचक भाषा में पाठकों को प्रभावित करनेवाली है।

Értékelések és vélemények

4,5
10 vélemény

A szerzőről

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

E-könyv értékelése

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