एक अच्छे और सफल मैनेजर में अपने काम में निरंतर निखार तथा नई-नई प्रणालियाँ लागू करने की ललक होनी चाहिए। उसमें योग्यता और प्रतिभा के साथ-साथ धैर्य; संयम; सहन-शक्ति; वाक्चातुर्य; प्रत्युत्पन्नमति तथा दूरदर्शिता जैसे गुण भी होने चाहिए; ताकि विपरीत परिस्थितियों में भी वह उद्यमशीलता का परिचय देते हुए संस्थान की उत्तरोत्तर उन्नति कर सके।
लेखक स्वयं भारत की एक बड़ी कंपनी में लगभग चालीस वर्षों तक सफल मैनेजर रहे हैं। उन्होंने अपने उन्हीं अनुभवों को यहाँ प्रस्तुत किया है। प्रस्तुत पुस्तक में एक मैनेजर के उत्तरदायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहण करने के कुछ सूत्र सँजोए गए हैं; जैसे—एक मैनेजर को दूसरों की गलतियों को नजरअंदाज करना चाहिए; उसमें क्षमाशीलता होनी चाहिए तथा अपने साथियों पर विश्वास और भरोसा होना चाहिए।
सुधी पाठक इस पुस्तक को अपनी यात्रा के दौरान; सोने से पूर्व; नाश्ते की मेज पर—कभी भी पढ़ें; बल्कि इसे अपने दैनिक कार्यों में शामिल करें तो निश्चय ही एक सफल मैनेजर बनकर सफलता के सोपान चढ़ते जाएँगे।