सुशोभित ने समकालीनता के बहुमुखी सन्दर्भों को सौम्य सृजनशीलता का प्रगल्भ, निर्भीक और लोकतान्त्रिक आयाम दिया है। इस साहित्यिक तेज़ में अपार नाभिकीय संलयन है, विचारों के श्रृंखलाबद्ध रिएक्शन्स हैं, पाठ और अन्तरपाठों की अनन्त और विमोहक ध्वनियाँ हैं, स्तब्ध करने वाला शब्द व्यापार है! भाष्य, अन्वय, सम्मतियों, असहमतियों और टीका-टिप्पणियों का इन्द्रधनुषी आकल्पन है।
सुशोभित दरअसल एक 'शब्द-स्पेस' को जी रहे हैं, उसे रच रहे हैं। उसी में लय को खोजते हैं और दूसरों को उसी स्पेस में आमन्त्रित करते हैं। वहाँ कला है, दर्शन है, फ़िल्म है, थिएटर है, खेल है, इन सबके नायक-नायिकाएँ हैं। वहाँ शास्त्रों का व्यसन है, काव्योक्तियाँ हैं, अनेकानेक शताब्दियों और विस्तारित भूगोल के अन्तरदेशी लेखकों, भाषाशास्त्रियों, कथाकारों, चिन्तकों और निर्देशकों की भंगी भणितियाँ हैं। वहाँ लहर है, तरंग है, उछाल है, हिलोर और झरने हैं।
सुशोभित बहुपठित और सुविचारित तरीक़े से अपनी बात रखते हैं। वह मूलतः विद्याव्यसनी और स्वतन्त्रचेता व्यक्ति हैं। वह एक अतिविचारशील युवा हैं, जिनके पास नवीन पौरुष की आग और वैजयन्ती भाषा की अपनी ठोस आँच है। उन्होंने हिन्दी भाषा की सम्प्रेषणीयता और उसकी शक्ति को किसी भी भाषा के उपयोगी सौन्दर्य के बराबर लाकर खड़ा किसी है। उनकी भाषायी गरिमा साहित्यिक परिधियों को छूती चलती है और उनकी ललकारभरी बुलन्द आवाज़ मन को किंचित विस्मय में डालती रही है।
—प्रो. आनन्द कुमार सिंह
सुशोभित -
युवा कवि, वृत्तान्तकार, पत्रकार, अनुवादक।
13 अप्रैल, 1982 को मध्य प्रदेश के झाबुआ में जन्म।
शिक्षा-दीक्षा उज्जैन से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर।
एक साल पत्रकारिता की भी अन्यमनस्क पढ़ाई की।
सिनेमा, साहित्य, धर्म-दर्शन, संगीत, खेल, कलाओं और लोकप्रिय संस्कृति में गहरी अभिरुचि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, ब्लॉग, वेबसाइटों पर कविताएँ, निबन्ध, समालोचनाएँ प्रकाशित। सोशल मीडिया पर लोकप्रिय। वर्ष 2010 में संवाद प्रकाशन, मेरठ से स्पैनिश कवि फेदरीको गार्सीया लोक के पत्रों के अनुवाद की एक पुस्तक प्रकाशित। सत्यजित राय के सिनेमा पर एक निबन्धाकार पुस्तक और प्रेम-विषयक गद्य गीतों का एक अन्य संकलन शीघ्र प्रकाश्य। अभिनेत्री दीप्ति नवल की आत्मकथा का सम्पादन भी कर रहे हैं। कविता की यह पहली किताब।