Gita Sanyas: Karmasanyasyog

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.4
සමාලෝචන 33ක්
ඉ-පොත
64
පිටු
ඇගයීම් සහ සමාලෝචන සත්‍යාපනය කර නැත වැඩිදුර දැන ගන්න

මෙම ඉ-පොත ගැන

पूर्णयोगी बनने की कला

जो कर्मरत् है वह संन्यासी नहीं  

जो संन्यासी है वह कर्मरत् नहीं।


‘कर्म’ और ‘संन्यास’ दो अलग मतलब रखनेवाले उपरोक्त पंक्तियों की तरह देखे जाते हैं। जैसे लोग अपनी सांसारिक जिम्मेदारियों को छोड़कर सोचते हैं कि हमने कर्मों का त्याग कर दिया और वे खुद को संन्यासी घोषित कर, संसार से पलायन कर जाते हैं। लेकिन गीता के पाँचवें अध्याय में श्रीकृष्ण उन लोगों की गलतफहमी दूर करते हुए घोषणा करते हैं कि वास्तव में कर्मयोग और संन्यासयोग अलग नहीं हैं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। 

कर्म और संन्यास का जिस बिन्दु पर मिलन होकर कर्मसंन्यासयोग बनता है, उस बिन्दु पर स्थापित हुआ इंसान पूर्णयोगी बनता है। प्रस्तुत पुस्तक आपको इसी रहस्य से अवगत कराते हुए बताती है कि 

* कर्म और संन्यास एक कैसे हो सकते हैं?

* कर्मयोग और संन्यासयोग की जो एक ही मंज़िल है, वह क्या है?

* योगी (ईश्वर से योग करनेवाले) कितने प्रकार के होते हैं?

* पूर्णयोगी किसे कहा जाता है?

* पूर्णयोगी बनने की युक्ति क्या है?

तो आइए, इस पुस्तक में दी गई गीता की महत्वपूर्ण समझ को आत्मसात् कर, हम भी पूर्णयोगी बन, परमात्मा से अमरात्मा का योग करें और अपना कर्मसंन्यासयोग सफल करें।

 

ඇගයීම් සහ සමාලෝචන

4.4
සමාලෝචන 33ක්

කර්තෘ පිළිබඳ

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

 

මෙම ඉ-පොත අගයන්න

ඔබ සිතන දෙය අපට කියන්න.

කියවීමේ තොරතුරු

ස්මාර්ට් දුරකථන සහ ටැබ්ලට්
Android සහ iPad/iPhone සඳහා Google Play පොත් යෙදුම ස්ථාපනය කරන්න. එය ඔබේ ගිණුම සමඟ ස්වයංක්‍රීයව සමමුහුර්ත කරන අතර ඔබට ඕනෑම තැනක සිට සබැඳිව හෝ නොබැඳිව කියවීමට ඉඩ සලසයි.
ලැප්ටොප් සහ පරිගණක
ඔබට ඔබේ පරිගණකයේ වෙබ් බ්‍රව්සරය භාවිතයෙන් Google Play මත මිලදී ගත් ශ්‍රව්‍යපොත්වලට සවන් දිය හැක.
eReaders සහ වෙනත් උපාංග
Kobo eReaders වැනි e-ink උපාංග පිළිබඳ කියවීමට, ඔබ විසින් ගොනුවක් බාගෙන ඔබේ උපාංගයට එය මාරු කිරීම සිදු කළ යුතු වේ. ආධාරකරු ඉ-කියවනයට ගොනු මාරු කිරීමට විස්තරාත්මක උදවු මධ්‍යස්ථාන උපදෙස් අනුගමනය කරන්න.