Alasya Se Mukti Ke Naye Kadam (Hindi edition)

· WOW Publishings Private Limited · Narrated by Vrushali Patvardhan
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आलस्य के चक्रव्यूह का तोड़

                इंसान की असफलता के पीछे जिस विकार का सबसे बड़ा हाथ होता है, वह है ‘आलस्य’ जिसे तमोगुण, सुस्ती, अति निद्रा, तंद्रा भी कहा गया है। आलस्य बढ़ने पर हमारे भीतर कुछ अतिरिक्त विकार भी प्रवेश कर जाते हैं। जैसे बात-बात पर झूठ बोलना, आराम में व्यवधान पड़ने पर क्रोध, चिड़चिड़ापन आना, शरीर का निष्क्रिय होकर बीमारियों से घिर जाना, समय से काम पूरे न होने पर असफलताओं का मिलना, जिस कारण दुःख और दरिद्रता का चक्रव्यूह शुरू हो जाता है।

           इस पुस्तक में सुुस्ती के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए क्रमबद्ध कदमों में मार्गदर्शन दिया गया है। एक-एक कदम उठाने से सुस्ती की वृत्ति रूपी दीवार पर कड़े प्रहार होंगे और लगातार प्रहार से यह दीवार बिखर जाएगी।

           इस पुस्तक का यही उद्‌देश्य है कि आपके भीतर छिपकर बैठा तमोगुण प्रकाश में आए। आप इसे और इसके दुष्प्रभावों को जानकर, इससे मुक्त होने के लिए प्रभावित हों। यह पुस्तक आपको इसकी सरल तकनीकें बताती है-

* अपनी ऊर्जा कैसे बढ़ाई जाए

* आप आलसी हैं या अप्रेरित, यह कैसे जाना जाए

* सुस्ती को चुस्ती में कैसे बदला जाए

* नापसंद, मुश्किल, बोरिंग व समय न मिलनेवाले कामों को

कैसे पूरा किया जाए

* हर काम को कैसे पूरा किया जाए

* मन की आदतों को कैसे बदला जाए

* सुबह जल्दी उठने के ६ अचूक उपायों का उपयोग कैसे किया जाए

Ratings and reviews

4.5
85 reviews
Knowledge Motivation b2
March 11, 2023
fet not free books motivation
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Rajesh singh
July 3, 2020
Mem Very Very nice Your Thoughts
18 people found this review helpful
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Bharat Chouhan
February 17, 2021
excellent..👌👌👌
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था| इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया| इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया| उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया| इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे| उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें| जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी| जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ| आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अण्डरस्टैण्डिंगसरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है| ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है| आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है|’

सरश्री ने दो हजार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सत्तर से अधिक पुस्तकों की रचना की है| ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल ऍण्ड सन्स इत्यादि|)|


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